प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घाटमपुर ताप विद्युत परियोजना की यूनिट-1 (660 मेगावाट) राष्ट्र को समर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जनपद में स्थित घाटमपुर ताप विद्युत परियोजना की यूनिट-1 (660 मेगावाट) को राष्ट्र को समर्पित किया। यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना नेयवेली उत्तर प्रदेश पावर लिमिटेड (NUPPL) द्वारा संचालित की जा रही है, जो एनएलसी इंडिया लिमिटेड (51%) और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL) (49%) की संयुक्त भागीदारी है। इस परियोजना में कुल तीन सुपरक्रिटिकल ताप विद्युत इकाइयाँ हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 660 मेगावाट है, जिससे कुल स्थापित क्षमता 1,980 मेगावाट हो जाती है। यह पहल उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और सतत एवं विश्वसनीय विद्युत उत्पादन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को साकार करने के उद्देश्य से की गई है।
₹21,780.94 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के शेष दो यूनिट्स को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक चालू कर दिए जाने की संभावना है। परियोजना के विकास के लिए कुल 998.81 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। विद्युत क्रय अनुबंध (PPA) के अनुसार, 1487.28 मेगावाट (75.12%) बिजली उत्तर प्रदेश और 492.72 मेगावाट (24.88%) असम को आपूर्ति की जाएगी, जो UPRVUNL की 20% इक्विटी को असम सरकार को हस्तांतरित किए जाने की शर्त पर आधारित है। घाटमपुर ताप विद्युत परियोजना में अत्याधुनिक पर्यावरणीय तकनीकों को अपनाया गया है, जिनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) को कम करने के लिए सेलेक्टिव कैटलिटिक रिडक्शन (SCR) और सल्फर ऑक्साइड (SOx) को कम करने के लिए फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) तकनीकें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, संयंत्र में “जीरो लिक्विड डिस्चार्ज” (ZLD) प्रणाली लागू की गई है, जिससे किसी भी प्रकार का जल बाहर नहीं छोड़ा जाएगा।
परियोजना के अंतर्गत 288 किलोमीटर लंबी नहरों की लाइनिंग का कार्य किया जा रहा है, जिससे 195 मिलियन लीटर प्रतिदिन जल की बचत होगी। संयंत्र में अत्याधुनिक निगरानी उपकरण जैसे एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (AAQMS) और सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) लगाए गए हैं। इस संयंत्र में 88.81% बॉयलर दक्षता वाले कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल बॉयलर लगाए गए हैं। संयंत्र का कोयला भंडारण यार्ड 10.165 लाख मीट्रिक टन कोयला रखने की क्षमता रखता है, जो सभी तीन इकाइयों को 30 दिन तक पूर्ण भार पर संचालित कर सकता है। संयंत्र के जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता लगभग 46 लाख घन मीटर है, जो दो भागों में विभाजित है।
इस संयंत्र में अत्याधुनिक सबस्टेशन ऑटोमेशन सिस्टम और 765 kV GIS प्रणाली के माध्यम से विद्युत निकासी की जाती है। इसके अतिरिक्त, इसमें 9 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) उत्पादन क्षमता वाली एक समर्पित कोयला खान भी है, जो दीर्घकालिक संचालन हेतु कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
यह अत्याधुनिक ताप विद्युत स्टेशन मंत्रालय की ऊर्जा उपलब्धता बढ़ाने, सतत विकास को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करेगी तथा क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस परियोजना का उद्घाटन भारत के ऊर्जा क्षेत्र, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण है। इसके मजबूत डिजाइन, आधुनिक उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली और सुनिश्चित कोयला आपूर्ति के साथ, यह परियोजना वर्षों तक सस्ती और भरोसेमंद बिजली प्रदान करने में सक्षम होगी। कोयला मंत्रालय ऐसी पहलों के प्रति प्रतिबद्ध है और भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व की दिशा में प्रयासरत है।