जय करौली सरकार के उद्घघोष से गूंजा मिश्री मठ, हरिद्वार..

जय करौली सरकार के उद्घघोष से गूंजा मिश्री मठ, हरिद्वार..

:-देश ही नहीं विदेश से भी हजारों की संख्या में पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव में पहुँचे भक्त

जय करौली सरकार, जय करौली सरकार के उद्घघोष से गूंजा पूरा हरिद्वार, मिश्री मठ हरिद्वार में इन दिनों आध्यात्मिक वातावरण गूंजयमान हो रहा है। पांच दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव भक्तों के लिए एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव बनने जा रहा है। मिश्री मठ हरिद्वार में पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव की आज से भव्य शुरुआत हो गई है। भक्तों की भारी भीड़ और भक्ति के माहौल में महोत्सव का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और भजन संकीर्तन के साथ किया गया। करौली सरकार के जयकारों से गूंजते मिश्री मठ में श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। बता दे की मिश्री मठ, रायवाला में 4 से 8 नवंबर 2025 तक पंच दिवसीय पूर्णिमा एवं देवभूमि रजत उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस पावन अवसर पर देश-विदेश से 30,000 से अधिक साधक भाग लेने आ रहें हैं साथ ही देश के कई बड़े संत भी कार्यक्रम में सम्मलित होंगे। कार्यक्रम का उद्देश्य “जीव चेतना से मानव चेतना में संक्रमण यही मानव लक्ष्य है। यही चेतना पूरे विश्व में राक्षस मानव ,पशु मानव को मानवता की ओर अग्रसर करती हैं।” बता दे की आज दिनांक 4 नवम्बर को भजन संध्या एवं ध्यान साधना कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कल दिनांक 5 नवम्बर को विशेष रूप से प्रातः काल 7 बजे से पूजनीय बाबा जी एवं गुरु माताजी तथा माता महाकाली की आरती से कार्यक्रम की शुरुआत होगी और तत्पश्चात 10 बजे से भजन एवं ध्यान साधना का कार्यक्रम होगा। दोपहर 2 बजे से एक साथ 5000 से 7000 भक्त  श्री दस महाविद्या का सामूहिक हवन करेंगे ताकि उनकी मन की शुद्धि हो और वह लोग दीक्षा ले सकें। साथ ही शाम को मंत्र दीक्षा का कार्यक्रम शुरू होगा जो प्रातः काल तक चलेगा। एवं दिनांक 6 नवम्बर को तंत्र क्रिया योग साधक महासम्मेलन एवं देवभूमि रजत उत्सव मनाया जायेगा। दिनांक 7 नवम्बर को ध्यान साधना एवं कुंडलिनी जागरण का कार्यक्रम रखा गया है और दिनांक 8 नवम्बर को ध्यान साधना एवं कार्यक्रम का समापन समारोह होगा।
मंत्र दीक्षा का महत्व बताते हुए पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी ने कहा कि मंत्र दीक्षा का सबसे बड़ा महत्व स्वप्न को तोड़ना है। यह स्वप्न रात्रि में सोते समय देखे जाने वाले स्वप्न है अथवा दिन में भी खुली आंखों से अपने काम को करते हुए तमाम प्रकार के भाव विचारों में उलझ कर घूमने का स्वप्न है। जिसे दीवा स्वप्न कह सकते हैं, उन्होंने कहा की भाव विचार को रात्रि में सोते समय स्वप्न के रूप में देख पाते हैं लेकिन दिन में जब हम जागते रहते हैं तो खो से जाते हैं ये भी स्वप्न ही है। जिस दिन यह संक्रमण आपके पांचवे द्वार पर चक्रों के माध्यम से स्थिर हो जाएगा उस दिन आपका स्वप्न पर अधिकार हो जाएगा, स्वप्न पर अधिकार का अर्थ है मृत्यु पर अधिकार क्योंकि स्वप्न ही जीवन और मृत्यु दोनों तय करते हैं इसलिए स्वप्नो को तोड़ने के लिए दृष्टा भाव से सुंदर कोई भाव नहीं है और मंत्र दीक्षा का महत्व तब बढ़ जाता है। जब हम सोच विचार में अपने मंत्र को नियमित कर देते हैं और वह मंत्र सोच विचार का स्थान ले लेता है।धीरे-धीरे स्वप्न टूटने लगते हैं और उनका स्थान मंत्र लेने लग जाता है। हमारे भाव विचार का जो क्रम है, जो हमें अनायास कहीं खींच कर ले जाता है। वह हमारे मन के केंद्रीकरण के कारण हमारे मंत्र के आधार पर एक स्थान पर रुकने लगता है और मन शांत होने लगता है। तो मंत्र दीक्षा का सबसे बड़ा उपकार आपके स्वप्न को ही तोड़ना है। क्योंकि जब तक सपना टूटेगा नहीं तब तक आप गहरी निंद्रा में जाएंगे नहीं और गहरी निद्रा में जाए बगैर 84 लाख योनियों के जन्म मरण के बंधन से मुक्ति का जो स्वप्न है , वह स्वप्न ही रह जाएगा। इसीलिए मंत्र दीक्षा का सबसे बड़ा उपकार इन सपनों से बचाता है और मृत्यु जैसी गहरी निद्रा में ले जाता है। जब तक मृत्यु जैसी गहरी निद्रा नहीं होगी तब तक आप स्वप्नो से मुक्त नहीं होंगे।
बता दे की श्री राधारमण शिष्य संप्रदाय से प्राप्त 21 स्तरीय तंत्र क्रिया योग एवं ध्यान साधना का अभ्यास इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी साधक अपने शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन और जागृति का अनुभव करेंगे । मिश्री मठ द्वारा प्रत्येक माह की पूर्णिमा को ‘पूर्णिमा उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नवसाधकों को दीक्षा प्रदान की जाती है तथा पुराने साधकों के लिए उच्च स्तरीय साधना में चयन होता है। अब तक 2,00,000 से अधिक साधक मिश्री मठ के माध्यम से साधना में दीक्षित हो चुके हैं। यह सभी साधक पारिवारिक जीवन में रहकर ध्यान, साधना और सेवा के माध्यम से शारीरिक, मानसिक स्वस्थता तथा आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कर रहे हैं। मिश्री मठ द्वारा Zero Balance ‘शून्य में संतुलन’ ध्यान साधना का विशेष सत्र भी आयोजित किए जाते हैं, जो मन और चेतना के गहन संतुलन की अवस्था तक साधक को ले जाता है।

Manoj Shukla

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