अधिकारियों की मिलीभगत,आपदा राहत में गड़बड़झाला, राज्य एजेंसी से जांच की मांग : जेडीयू नेत्री।

अधिकारियों की मिलीभगत,आपदा राहत में गड़बड़झाला, राज्य एजेंसी से जांच की मांग : जेडीयू नेत्री।

बांदा : संवाददाता, उत्तर प्रदेश | जनपद बांदा में आपदा राहत की आड़ में एक संगठित भ्रष्टाचार तंत्र के खुलासे से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। जनता दल (यूनाइटेड) की प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री शालिनी सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक अत्यंत गंभीर पत्र प्रेषित कर CBI या SIT जांच की मांग की है। यह पत्र आपदा राहत, स्वास्थ्य माफिया और राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत से जुड़े एक व्यापक घोटाले की ओर इशारा करता है।
शालिनी सिंह पटेल ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि जनपद में सर्पदंश से मृत्यु दिखाकर राहत राशि के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है, जबकि वास्तविकता में कई मामलों में आत्महत्या या अन्य कारणों से हुई मृत्यु को ‘आपदा’ बताया गया।
उन्होंने दावा किया है कि इस फर्जीवाड़े में एक निजी अस्पताल संचालक प्रमुख भूमिका में है, जिस पर मेडिकल कॉलेज से जबरन रेफरल, नकली रक्त की बिक्री, और अधिकारियों को कथित रूप से महिलाओं की आपूर्ति जैसे संगीन आरोप हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे प्रकरण में एक राजस्व अधिकारी, जिसे स्थानीय स्तर पर ‘फाइनेंस मिनिस्टर’ कहा जाता है, लगातार तीन वर्षों से राहत प्रक्रिया का अनौपचारिक नियंत्रक बना हुआ है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि यह पूरा षड्यंत्र न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा प्रहार है।
जेडीयू ने चार प्रमुख मांगें की हैं:

  1. CBI/SIT जांच के आदेश,
  2. स्वतंत्र ऑडिट के जरिए तीन वर्षों की राहत व स्वास्थ्य संबंधी फाइलों की जांच,
  3. भ्रष्ट अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई,
  4. फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों की एफआईआर।
    शालिनी सिंह पटेल ने यह भी कहा कि, “यह केवल एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संवैधानिक मर्यादा की रक्षा का उत्तरदायित्व है।”
    अब देखना यह है कि योगी सरकार इस पत्र और प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेती है। अगर जांच होती है और आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास के सबसे शर्मनाक घोटालों में से एक साबित हो सकता है।
    रजिस्टर डाक से भेजे गए इस पत्र की एक प्रति मीडिया को भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे मामला अब जनचर्चा और राजनीतिक गलियारों में तेज़ी से तूल पकड़ रहा है।

Manoj Shukla

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