करौली शंकर महादेव दरबार में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव का हुआ विश्राम
पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव ने दिया “पूर्णता और प्रकृति संतुलन” का संदेश
प्रकृति के साथ संतुलन हेतु “Nature with Balance” अभियान प्रारंभ
कानपुर के पिपरगवां स्थित करौली शंकर महादेव धाम ‘लवकुश’ आश्रम में त्रिदिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का विश्राम हुआ। महोत्सव के प्रथम व द्वितीय दिवस प्रकृति को समर्पित रहा। इस दौरान दरबार आए हजारों भक्तों ने दीक्षा प्राप्त की, साथ ही भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
पूर्णिमा महोत्सव में पूर्ण गुरु करौली शंकर महादेव जी ने हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘पूर्णता का अर्थ पाना नहीं, बल्कि जो पाया है उसे फैलाना है।” गुरु जी ने श्रद्धालुओं को जीवन के त्रिगुणों (सत्व, रज, तम) से पार होकर महा शिव की उपलब्धि की ओर बढ़ने का मार्ग बताया और समर्पण को ही पूर्णता की एकमात्र कुंजी बताया।
इस अवसर पर दरबार ने एक विशेष वृक्षारोपण अभियान “Nature with Balance” शुरू किया, जिसके अंतर्गत हर शिष्य को अपने जीवन में कम से कम 100 पौधे लगाने का संकल्प लेने को कहा गया। यह संकल्प एक आध्यात्मिक वैज्ञानिक आधार पर आधारित है, जिसमें बताया गया कि हर व्यक्ति का किसी विशेष वृक्ष से सूक्ष्म प्राणिक संबंध होता है।
साथ ही गुरु पूर्णिमा अवसर पर आयोजित तंत्र क्रिया योग दीक्षा पात्रता चयन प्रक्रिया में कुल 2662 आवेदनकर्ताओं में से 2636 साधकों को विभिन्न स्तरों में योग्य पाया गया, जिसमें कुछ पूर्व दीक्षित साधक भी सम्मिलित थे। सभी चयनितों को पूर्ण गुरू के सान्निध्य में विशेष ध्यान-साधना कराई गई, जो आध्यात्मिक अनुभूति और आत्मिक ऊर्जा जागरण की दृष्टि से एक दुर्लभ अवसर था।
कार्यक्रम के तृतीय दिवस लेवल 10 से ऊपर के तंत्र योग क्रिया के शिष्यों के लिए दिव्य हवन पूर्ण गुरू करौली शंकर महादेव जी द्वारा किया गया साथ ही माता महाकाली का भी अभिषेक किया गया।हवन के बाद गुरु जी कहाँ की तंत्र दीक्षा के प्रथम से 10 वे चरण के साथ सभी लोग इस दिव्य हवन के पुण्य के भागीदार है। साथ ही पूर्ण गुरु द्वारा देश विदेश से आए हजारों भक्तों को ध्यान साधना कराने के साथ तंत्र क्रिया योग दीक्षा के बारे में चर्चा करते हुए त्रिदिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का विश्राम हुआ।